बड़ी शिद्दत से खुशियों को गले लगाए बैठा हूं, क्या बताऊं अब कैसे इस नादान दिल को समझाए बैठा हूं , थोड़ी हकीकत,थोड़ा झुठ, थोड़ी सी नर्मी, थोड़ा सा गुरूर कुछ उलझे हुए अल्फ़ाज़ बैठा हूं, खैर ज्यादा कुछ कहने की ख्वाहिश भी नहीं है, बस तू लब्ज बने मेरे गजल की, एक आश लगाए बैठा हूं !!
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